Wednesday, March 25, 2020

जो सौम्य है, शांत है
सहज है, नितांत है
धैर्य का वृतांत है
वही शिव है

जो सागर का हलचल है
रागों का बादल है
प्रेमी सा पागल है
वही शिव है

जो गुढ्य है, गंभीर है
प्रशांत सा सुधीर है
नेह का नीर है
वही शिव है

जो शून्य में साकार है
अनंत का आकार है
निस्पृह निराकार है
वही शिव है

जो मृदंग का साज है
रागों का राज है
मूक है, आवाज है
वही शिव है

जो फक्कड़ है, दिगम्बर है
अघोरी है, पयम्बर है
शक्ति का स्वयंबर है
वही शिव है

जो उद्भव है, विलीन है
आदि है, अर्वाचीन है
भोला है कुलीन है
वही शिव है

जो आकृति है, दर्पण है
अर्पण है, तर्पण है
विरक्त है, समर्पण है
वही शिव है

(लल्ला गोरखपुरी)

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