लेख:- अभिषेक पाण्डेय (लल्ला गोरखपुरी)
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हे भारत के राम जगो!🙏
आज वैश्विक स्तर पर जिसप्रकार भारत इस महामारी के दौर में पूरी ऊर्जा, लगन और कौशल के साथ अपनी स्थिति को मजबूत बनाये हुए है वह वास्तव में सराहनीय है। प्रतिदिन आ रहे नए कोरोना मामलों के बावजूद आज भारत वैश्विक स्तर पर कोरोना मरीजों की रिकवरी और अन्य नए मामलों के रोकथाम हेतु अच्छा काम कर रहा है। कोरोना जांच के मामले को देखा जाये तो आज देश में 15 लाख से ऊपर जांच हुए हैं जो अनवरत जारी है।
सुरक्षा मानकों एवमं सुविधाओं के परिपेक्ष्य में बात करें तो
*इमरजेंसी में चीन से मंगाए गए पीपीई किट्स में मिली खामियों को ध्यान में रखते हुए भारत के द्वारा स्वदेशी किट निर्माण का कार्य प्रारम्भ किया गया। आज भारत की कुल 111 कम्पनियों ने N95 मास्क और 2 लाख पीपीई किट्स का निर्माण प्रतिदिन कर रही हैं। इसके माध्यम से पिछले 2 महीनों में 7000 करोड़ के व्यवसाय को खड़ा कर भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और सप्लायर देश बनकर उभरा है। जिस किट की कीमत सब्सिडी छोड़कर आम नागरिकों के लिए भारत में प्रति किट 3000₹ थी आज भारत उसी किट को मात्र 600₹ में तैयार कर रहा है। वहीं देश की बड़ी प्रद्योगिकी संस्थाएं अन्य आवश्यक नव तकनीकी सामग्रियों जैसे जीवन रक्षक प्रणाली (वेंटिलेटर), मास्क, डीआरडीओ द्वारा निर्मित UV ब्लास्टर नामक डिसइन्फेक्शन टावर आदि का बड़े पैमाने पर निर्माण में महती भूमिका निभा रही हैं।
* IIT कानपुर व भारत डायनामिक्स के साझे प्रयासों से सस्ते दामों पर वेंटिलेटर तैयार किया जा रहा है साथ ही साथ IIT दिल्ली ने लगभग 50 बार, धुलकर पुनः प्रयोग में लायी जाने वाली N-safe एंटीमाइक्रोबियल मास्क का निर्माण किया है व अन्य कई दवा की कम्पनियां दवा का निर्माण कर रही हैं।
जहां भारत में पीपीई किट्स, दवा आदि का प्रोडक्शन कभी शून्य था आज वह वैश्विक स्तर पर एक मानक स्थापित कर रहा है तथा भारत अन्य देशों के लिए आपूर्ति कर्ता के रूप में उभर कर सामने आया है।। अन्य कई छोटे देशों जैसे मालदीव, क्रोएशिया, दक्षिण अफ्रीकी कॉन्टिनेंट के कई देश जो आज कोरोना व डेंगू से बुरी तरह प्रभावित हैं उनको भारत द्वारा रसद सामग्री, दवाएं, किट्स, मास्क, और डॉक्टरों की आपूर्ति की जा रही है।
किसी भी देश के उत्थान की भूमिका वहां के व्यक्तियों और उनकी प्रशासन व प्रकृति के बीच आपसी समन्वयन से सुदृढ़ होती है। संविधान का मूल तत्व व्यक्ति हित और व्यक्तित्व निर्माण पर निर्धारित है। आज सरकारी तंत्र को इस बात को लेकर पूर्णतया सजग होना होगा असल में संविधान की रक्षा तभी हो पाएगी जब हम व्यक्ति और व्यक्तित्व विकास को बेहतर कर पाएंगे। हालांकि यह जिम्मेदारी सिर्फ तंत्र तक नही बल्कि तंत्र के निर्माण कर्ताओं की भी है जो संविधान के मौलिक अधिकारों की तो बात करते हैं पर मौलिक कर्तव्यों के प्रति अचेतावस्था में हैं। इस महामारी को जहां भारत स्वविकास के अवसर के रूप में देख रहा है उसको अमली जामा पहनाने के लिए नागरिकों का दायित्व सर्वाधिक है। एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग 90 लाख किसानों ने खेती करना छोड़ कर दूसरे राज्यों में मजदूरी करने के लिए मजबूर हुए उदाहरण के तौर पर देखें तो महाराष्ट्र में ही बिहार से लगभग 46 लाख और उत्तर प्रदेश से लगभग 6 लाख किसान और अन्य कमजोर वर्ग के लोग कार्य कर रहे हैं और ऐसे ही कई राज्यों के मजदूर/कृषक वर्ग जिसमें कि अधिकांशत: इस महामारी के कारण आज भारत के अन्य राज्यों से पलायन कर स्वगृह वापस आये हैं या आ रहे हैं व अपनी आजीविका के लिए पुनः कृषि कार्यों में जुट गए हैं जिससे कृषि क्षेत्र में किसानों की 5.8% की वृद्धि हुई है। आज भारत सरकार को ऐसे विस्थापन के लिए मजबूर हुए किसानों के लिए अपनी किसान नीतियों में सुधार के साथ साथ, कृषि सुधार कार्यक्रमों को ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों माध्यमों से सुदृढ़ करना होगा जिससे यह विस्थापन दुबारा ना हो।। कृषि व्यवसायिक केंद्रों को पारदर्शी बनाने के साथ ही सरकार द्वारा लांच किए गए "कृषि सभा एप" का बेहतर क्रियान्वयन कराना होगा जिससे किसान नई फसल योजनाओं के बारे में और कृषि कार्यों के विविध आयामों से अवगत हो सकें।। किसान बीमा योजना, किसान निधि योजनाओं के प्रति सुदृढ़ और सजग रवैया अपनाना होगा। मल्टीलेयर फार्मिंग को और बढ़ावा देना होगा। आज प्रधानमंत्री जी ने 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' के परिप्रेक्ष्य में जिस चार L (लैंड , लेबर, लिक्वीडिटी, और लॉज) के संदर्भ में बात करते हुए कुटीर उद्योगों, लघु उद्योगों, MsME आदि के लिए विभिन्न प्रावधानों के अधीन 20 लाख करोड़ के पैकेज की बात कही है वह स्वागतयोग्य है। कभी कभी बाहर की चकाचौंध देखने में हमारी आंखे इतनी खो जाती हैं कि हम अपने आसपास की आवश्यक चीजों पर ध्यान नही दे पाते और ये कमजोरी दीमक की भांति हमें खोखली करने लगती है। इस भयावह स्थिति ने हमें पुनः हमारे घर को वापस सुदृढ़ और सुव्यवस्थित करने का मौका दिया है और इसको ध्यान में रखते हुए लोकल स्तर पर आजीविका के साधनों को स्थापित करने की प्रतिबद्धता के साथ चल रही व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकार का यह कदम प्रसंशनीय है।।
हम भारतीय लोग ध्वंस से सृजन की विधि की कहानियां सुनते पले बढ़े हैं और जब भी देशकाल को अस्तित्व की रक्षा हेतु हमारी आवश्यकताएं पड़ीं हमने अनेक सस्ते किन्तु बेहतरीन माध्यमों से उन परिस्थितियों से निबटा है।।
हर घड़ी हम हनुमान से प्रेरणा तो लेते हैं पर जामवंत की कमी के कारण चूक जाते हैं। किन्तु यह समय हमें स्वावलम्बी बनाने के साथ साथ सतर्क और तेज बनाने का हुनर भी सिखा रहा है औऱ हमारे ध्येय वाक्य "उठो! जागो! और लक्ष्य प्राप्ति तक बढ़ते रहो" को साधने के लिए प्रेरित कर रहा है।। अतः स्वागत करिये।।
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हे भारत के राम जगो!🙏
आज वैश्विक स्तर पर जिसप्रकार भारत इस महामारी के दौर में पूरी ऊर्जा, लगन और कौशल के साथ अपनी स्थिति को मजबूत बनाये हुए है वह वास्तव में सराहनीय है। प्रतिदिन आ रहे नए कोरोना मामलों के बावजूद आज भारत वैश्विक स्तर पर कोरोना मरीजों की रिकवरी और अन्य नए मामलों के रोकथाम हेतु अच्छा काम कर रहा है। कोरोना जांच के मामले को देखा जाये तो आज देश में 15 लाख से ऊपर जांच हुए हैं जो अनवरत जारी है।
सुरक्षा मानकों एवमं सुविधाओं के परिपेक्ष्य में बात करें तो
*इमरजेंसी में चीन से मंगाए गए पीपीई किट्स में मिली खामियों को ध्यान में रखते हुए भारत के द्वारा स्वदेशी किट निर्माण का कार्य प्रारम्भ किया गया। आज भारत की कुल 111 कम्पनियों ने N95 मास्क और 2 लाख पीपीई किट्स का निर्माण प्रतिदिन कर रही हैं। इसके माध्यम से पिछले 2 महीनों में 7000 करोड़ के व्यवसाय को खड़ा कर भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और सप्लायर देश बनकर उभरा है। जिस किट की कीमत सब्सिडी छोड़कर आम नागरिकों के लिए भारत में प्रति किट 3000₹ थी आज भारत उसी किट को मात्र 600₹ में तैयार कर रहा है। वहीं देश की बड़ी प्रद्योगिकी संस्थाएं अन्य आवश्यक नव तकनीकी सामग्रियों जैसे जीवन रक्षक प्रणाली (वेंटिलेटर), मास्क, डीआरडीओ द्वारा निर्मित UV ब्लास्टर नामक डिसइन्फेक्शन टावर आदि का बड़े पैमाने पर निर्माण में महती भूमिका निभा रही हैं।
* IIT कानपुर व भारत डायनामिक्स के साझे प्रयासों से सस्ते दामों पर वेंटिलेटर तैयार किया जा रहा है साथ ही साथ IIT दिल्ली ने लगभग 50 बार, धुलकर पुनः प्रयोग में लायी जाने वाली N-safe एंटीमाइक्रोबियल मास्क का निर्माण किया है व अन्य कई दवा की कम्पनियां दवा का निर्माण कर रही हैं।
जहां भारत में पीपीई किट्स, दवा आदि का प्रोडक्शन कभी शून्य था आज वह वैश्विक स्तर पर एक मानक स्थापित कर रहा है तथा भारत अन्य देशों के लिए आपूर्ति कर्ता के रूप में उभर कर सामने आया है।। अन्य कई छोटे देशों जैसे मालदीव, क्रोएशिया, दक्षिण अफ्रीकी कॉन्टिनेंट के कई देश जो आज कोरोना व डेंगू से बुरी तरह प्रभावित हैं उनको भारत द्वारा रसद सामग्री, दवाएं, किट्स, मास्क, और डॉक्टरों की आपूर्ति की जा रही है।
किसी भी देश के उत्थान की भूमिका वहां के व्यक्तियों और उनकी प्रशासन व प्रकृति के बीच आपसी समन्वयन से सुदृढ़ होती है। संविधान का मूल तत्व व्यक्ति हित और व्यक्तित्व निर्माण पर निर्धारित है। आज सरकारी तंत्र को इस बात को लेकर पूर्णतया सजग होना होगा असल में संविधान की रक्षा तभी हो पाएगी जब हम व्यक्ति और व्यक्तित्व विकास को बेहतर कर पाएंगे। हालांकि यह जिम्मेदारी सिर्फ तंत्र तक नही बल्कि तंत्र के निर्माण कर्ताओं की भी है जो संविधान के मौलिक अधिकारों की तो बात करते हैं पर मौलिक कर्तव्यों के प्रति अचेतावस्था में हैं। इस महामारी को जहां भारत स्वविकास के अवसर के रूप में देख रहा है उसको अमली जामा पहनाने के लिए नागरिकों का दायित्व सर्वाधिक है। एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग 90 लाख किसानों ने खेती करना छोड़ कर दूसरे राज्यों में मजदूरी करने के लिए मजबूर हुए उदाहरण के तौर पर देखें तो महाराष्ट्र में ही बिहार से लगभग 46 लाख और उत्तर प्रदेश से लगभग 6 लाख किसान और अन्य कमजोर वर्ग के लोग कार्य कर रहे हैं और ऐसे ही कई राज्यों के मजदूर/कृषक वर्ग जिसमें कि अधिकांशत: इस महामारी के कारण आज भारत के अन्य राज्यों से पलायन कर स्वगृह वापस आये हैं या आ रहे हैं व अपनी आजीविका के लिए पुनः कृषि कार्यों में जुट गए हैं जिससे कृषि क्षेत्र में किसानों की 5.8% की वृद्धि हुई है। आज भारत सरकार को ऐसे विस्थापन के लिए मजबूर हुए किसानों के लिए अपनी किसान नीतियों में सुधार के साथ साथ, कृषि सुधार कार्यक्रमों को ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों माध्यमों से सुदृढ़ करना होगा जिससे यह विस्थापन दुबारा ना हो।। कृषि व्यवसायिक केंद्रों को पारदर्शी बनाने के साथ ही सरकार द्वारा लांच किए गए "कृषि सभा एप" का बेहतर क्रियान्वयन कराना होगा जिससे किसान नई फसल योजनाओं के बारे में और कृषि कार्यों के विविध आयामों से अवगत हो सकें।। किसान बीमा योजना, किसान निधि योजनाओं के प्रति सुदृढ़ और सजग रवैया अपनाना होगा। मल्टीलेयर फार्मिंग को और बढ़ावा देना होगा। आज प्रधानमंत्री जी ने 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' के परिप्रेक्ष्य में जिस चार L (लैंड , लेबर, लिक्वीडिटी, और लॉज) के संदर्भ में बात करते हुए कुटीर उद्योगों, लघु उद्योगों, MsME आदि के लिए विभिन्न प्रावधानों के अधीन 20 लाख करोड़ के पैकेज की बात कही है वह स्वागतयोग्य है। कभी कभी बाहर की चकाचौंध देखने में हमारी आंखे इतनी खो जाती हैं कि हम अपने आसपास की आवश्यक चीजों पर ध्यान नही दे पाते और ये कमजोरी दीमक की भांति हमें खोखली करने लगती है। इस भयावह स्थिति ने हमें पुनः हमारे घर को वापस सुदृढ़ और सुव्यवस्थित करने का मौका दिया है और इसको ध्यान में रखते हुए लोकल स्तर पर आजीविका के साधनों को स्थापित करने की प्रतिबद्धता के साथ चल रही व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकार का यह कदम प्रसंशनीय है।।
हम भारतीय लोग ध्वंस से सृजन की विधि की कहानियां सुनते पले बढ़े हैं और जब भी देशकाल को अस्तित्व की रक्षा हेतु हमारी आवश्यकताएं पड़ीं हमने अनेक सस्ते किन्तु बेहतरीन माध्यमों से उन परिस्थितियों से निबटा है।।
हर घड़ी हम हनुमान से प्रेरणा तो लेते हैं पर जामवंत की कमी के कारण चूक जाते हैं। किन्तु यह समय हमें स्वावलम्बी बनाने के साथ साथ सतर्क और तेज बनाने का हुनर भी सिखा रहा है औऱ हमारे ध्येय वाक्य "उठो! जागो! और लक्ष्य प्राप्ति तक बढ़ते रहो" को साधने के लिए प्रेरित कर रहा है।। अतः स्वागत करिये।।