Tuesday, October 2, 2018

किरदार तुम्हारा सदा चहकने वाला है

अंधियारे की चादर ओढ़े सोया जो
सूर्य दीप्ति ले फिर से जगने वाला है

घबराओ मत पौध मेरी आशाओं की
वसुधा का यह रूप संवरने वाला है

है मशाल जो जली यहां की झुग्गी से
घोर तिमिर का बंधन कटने वाला है

सुनो!किरायेदारों वापस घर आओ
घर अपना ही विश्व बदलने वाला है

और पिलाओ विष का गागर जल्दी से
नीलकंठ का रंग उतरने वाला है

अस्त व्यस्त ही सही रहूँगा संग तेरे
सदा तेरा किरदार चहकने वाला है

     लल्ला गोरखपुरी....