है पथिक जो तू अगर
तो तुझे चलना भी होगा
इस गगन में नित्य उगना
और फिर ढलना भी होगा
मंदाकिनी, आकाशगंगा
सब तेरे चरणों में हैं
मंत्र सी अभिव्यक्ति तेरी
भाव उर अधरों में हैं
अब सहस्त्रों सूर्य को
प्रदीप्ति देने के लिए
वक्ष पर मिथ्या के चढ़कर
ज्वाल बन जलना भी होगा
है पथिक जो तू अगर
तो तुझे चलना भी होगा।।
(लल्ला गोरखपुरी)
#प्रकृतिपुत्री
तो तुझे चलना भी होगा
इस गगन में नित्य उगना
और फिर ढलना भी होगा
मंदाकिनी, आकाशगंगा
सब तेरे चरणों में हैं
मंत्र सी अभिव्यक्ति तेरी
भाव उर अधरों में हैं
अब सहस्त्रों सूर्य को
प्रदीप्ति देने के लिए
वक्ष पर मिथ्या के चढ़कर
ज्वाल बन जलना भी होगा
है पथिक जो तू अगर
तो तुझे चलना भी होगा।।
(लल्ला गोरखपुरी)
#प्रकृतिपुत्री